BPL Booklet : Work Procedure ( कार्य विधि )

बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के दौरान शतप्रतिशत ग्रामीण परिवारों का उनके घर-घर जाकर सर्वे का कार्य सम्पादित किया जावेगा। विभिन्न गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के तहत गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को लक्षित करने हेतु उनका सही चिन्हीकरण आवश्यक है।

बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 में प्रत्येक परिवार को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से जीवन-यापन करने हेतु उनके पास उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए उनका चिन्हीकरण ‘‘अंक आधारित श्रेणी’’ (Score Based Ranking) प्रक्रिया अपनाते हुए किया जावेगा। गत बार की तरह आय अथवा व्यय के आधार पर किसी परिवार का चयन बी.पी.एल. सूची में नहीं किया जायेगा। • बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के लिए दो प्रकार की अनूसूचियों में प्रत्येक परिवार की सूचना एकत्र की जावेगी जिनमें से अनुसूची ‘‘अ’’ के लिए कोई भी अंक निर्धारित नहीं किये गये हैं अर्थात्‌ Non-Scorable indicators हैं तथा इस अनुसूची में सिर्फ सम्बन्धित परिवार के बारे में विवरण (Profile of Household) तैयार किया जावेगा।

अनुसूची ‘‘ब’’ में 13 सूचक निर्धारित किये गये हैं, ये सभी सूचक अंक आधारित होंगे, जिनके अंक 0,1,2,3,4 प्रत्येक परिवार के लिए निर्धारित किये गये है। प्रत्येक परिवार के सम्बन्ध में प्राप्त सूचना के अनुसार कुल अंको की गणना की जावेगी। प्रत्येक परिवार के लिए अंको की गणना पृथक-पृथक की जावेगी। प्राप्त अंको के आधार पर प्रत्येक परिवार की गाँववार सूची आरोही क्रम में तैयार की जावेगी।

बी.पी.एल. सर्वे, 2002 के दौरान प्रत्येक परिवार वार प्राप्त अंको की सभी सूचियॉं गाँव के प्रमुख स्थान/पंचायत के पंचायत भवन पर प्रदर्शित की जावेगी ताकि इस कार्य में पारदर्शिता रहे तथा गलतियों में कमी आवे। अगर दो या दो से अधिक परिवारों के अंक समान हो तो ऐसे प्रकरणों के क्रम का निर्धारण ग्राम सभा में सहमति के आधार पर किया जावे। गाँंव के प्रत्येक परिवार की तैयार सूची को ग्रामसभा द्वारा अनुमोदन कराया जाकर गाँव के प्रमुख स्थान/पंचायत भवन पर प्रदर्शित किया जावे।

राज्य सरकार द्वारा ग्राम सभा में अनुमोदन उपरान्त एक बार बी.पी.एल. सूची को अनुमोदित करने के बाद उसमें किसी प्रकार परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। आगामी बीपीएल सेन्सस में रिजल्ट की उपलब्धता तक अन्तिम बी.पी.एल. सूची में कोई भी नाम नहीं जोड़ा जा सकेगा। ऐसे परिवार जो किसी कारणवश निर्धारित अंको की सीमा से ऊपर आ जायेंगे, उनका नाम ही बी.पी.एल. सूची से हटाया जा सकेगा। इस प्रकार से सूची के नाम हटाने के कार्य की समीक्षा ग्राम सभाओं द्वारा वर्ष में एक बार ही की जा सकेगी।

बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समस्त परिवारों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इस सर्वे के माध्यम से क्षेत्र विशेष एवं व्यक्ति विशेष के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिसके आधार पर योजना/कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी। अतः इस सर्वे में प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण बहुत ही सावधानी पूर्वक किया जाना आवश्यक है। इस सर्वे के आधार पर ही गरीब ग्रामीण परिवारों की राष्ट्रीय/राज्य/जिला/खण्ड/गाँव स्तर पर रूपरेखा तैयार की जा सकेगी। अतः सूचना का सावधानी पूर्वक तैयार करवाना तथा विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।

सर्वे के आकडों के विश्लेषण, डाटाएन्ट्री तथा गरीबी प्रोफाइल तैयार करने हेतु ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा सॉफ्टवेयर तैयार कर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा यह सॉफ्टवेयर जिलों को यथासमय उपलब्ध करवा दिया जायेगा।

सेन्सस सर्वे की सफलता गणक के कौशल पर निर्भर करेगी। गणक के चयन के लिए केवल परम्परागत रूप से ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ताओं को ही नहीं लगाया जावे बल्कि अच्छे और उचित रूप से मिश्रित विभिन्न विभागों यथा- आयोजना और सांख्यिकी से भी कार्मिकों को लगाया जावे।

प्रशिक्षण मोड्यूल बनाया जावे तथा सेन्सस में कार्यरत कार्मिकों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जावे।

गणक के साथ-साथ सरपंच/प्रधान के लिए भी प्रशिक्षण और कैम्प आयोजित किये जावें, क्योंकि उन्हें सेन्सस कार्य में बडे+ नजदीक से सम्बद्ध रहना है।

जिला कलक्टर जिले में कार्य को कोर्डीनेट करेंगे और कार्य में संलग्न अधिकारियों व समस्त संबंधितों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करायेगें। वे पर्यवेक्षण, मोनीटरिंग और विशेष प्रकरणों में टेस्ट चैक कर उसके सही होने की जांच करेंगे।

जिला कलक्टर उपखण्ड अधिकारियों को भी चिन्हीकरण के पर्यवेक्षण कार्य की जिम्मेदारी सौंपेगे।

उपखण्ड अधिकारी बीपीएल सेन्सस के सही होने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

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